बेरोजगारी: एक गंभीर समस्या

बेरोजगारी है एक गंभीर समस्या,

जिससे मिलती है जिवन मे निराशा

अगर ये मिट जाए सभी के जिवन से,

तो फिरसे जाग जायेगी सभीकी आशा ll

           भारत मे बेरोजगारी एक गंभीर सामाजिक समस्या है l जहाँ लाखो उच्च शिक्षित और कुशल लोग नौकरी की तलाश मे है, लेकिन उपलब्ध रोजगार के अवसर सीमित है l इसका मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धी, तकनिक प्रगती और शिक्षा प्रणाली मे व्यावहारिक कौशल की कमी है l बेरोजगारी सिर्फ एक आर्थिक समस्या नही है, बल्की यह समाज की प्रगती और स्थिरता को भी प्रभावित करती है l जब शिक्षित और कुशल युवा नौकरी पाने मे असफल रहते है l यह न केवल उनके आत्मविश्वास को ठेस पहुचाता है l बल्की देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है l

     बेरोजगारी की वजह से गरिबी, अपराध, मानसिक तनाव और सामाजिक असमानता जैसी समस्यायें बढती है, जिससे संपूर्ण राष्ट्र का विकास बाधित होता है l

छात्रो को बेरोजगारी पर निबंध लिखने के लिये इसलिये कहा जाता है, ताकीं वे इस गंभीर मुद्दे को गहराई से समज सके।इसके कारणो और प्रभावो को विस्लेषण कर सके एवं समाधान कीं संभवनाओ पर विचार कर सके l यह विषय उन्हे सामाजिक और आर्थिक समस्याओ के प्रति जागरूक बनाती है और उनके चिंतन कौशल को विकसित करती है l

एक बिरोजगार व्यक्ती का दैनिक जिवन अक्सर अनिश्चित और निराशा से भरा होता है l समय यूही बितता जाता है और हर बितता दिन अकेलेपन की भावना को बढाता है l सुबह की सुरुवात अक्सर जॉब पोर्टल की जांच करते हुवे होती है कि एक उम्मीद मे कि कोई नई listing हो जो आशा कि किरण जगाये l आशा और निराशा के बीच एक निरंतर लढाई होती है l

रोजाना के बिलो और बढते कर्जो का बोझ तानाव को बढाता है l

जिससे दुसरो को अपनी स्थिती समझाने की जरुरत शर्मदगी का कारण बन सकती है l न जाने कितने लोग प्रतिदिन नौकरी की तलाश मे गांव के बाहर चले जाते है l अपने परिवार को छोडकर, कोई अपने बुढे माँ -बाप को छोडकर अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिये कोई भी छोटे- बढे काम के लिये बाहर चले जाते है l गरीब लोग तकलीफ, कष्ट सहनकर पढ तो लेते है परंतु पैसो की कमी व नौकरी के अभाव के कारण उनका ख्वाब तुटसा जाता है l ऊन परिवार को हर दिन शैकडो समस्याओ का सामना करना पडता है l कभी – कभी नोकरी ना मिलने से कोई कोई अपना जिवन भी त्यागने का विचार कर लेते है l

बेरोजगारी को कैसे समाप्त करे यह बताया नही जा सकता किंतु, इसके कारण समाज मे अपवाद, हिंसा, लुटपात, डकैती,चोरी, अपहरण व अन्य आर्थिक अपराध बढ रहे है l इसके लिये मनुष्य को अपनी इच्छाओ और आवश्यकताओ पर अंकुश लगाना चाहिये l क्यूकी इन्ही सबको पुरा करने के लिये वह अनैतिक अपराध की और भटक जाते है l अंतः सरकार को चाहिये की वह विकास और रोजगार की ओर अग्रसर का मार्ग तथा नई नई दिशा देने की ग्रामीण क्षेत्रो के कुटीर व लघु उद्योग को न सिर्फ प्रोत्साहन दे बल्की उन्हे बढाये l सुदृढ व संगठीत शिक्षा प्रणाली का निर्माण करे l

अगर सरकार नौकरी के लिये किसी बढे व्यक्ती की शिफारीश व रिश्वत ना लेते हुए उनकी क्षमता वृद्धी व उनकी कौशल को देखे l अगर समाज मे हर कोई बेरोजगारी की समस्या को समज ले तो हर काबिल इन्सान को नौकरी मिलनें मे मदत होगी l एवं समाज के साथ -साथ देश की तरक्की मे भी बडा योगदान सिद्ध होगी l शिक्षा को वैकल्पिक तौर पर नही अनिवार्यता के आधार पर लागू करे एवं परिवार नियोजन अपनाकर जनसंख्या को बढने से रोके l ये सब कार्य सरकार व जनता दोनो को मिलकर करनी होगी तभी हम बेरोजगारी की समस्या के बोझ को मिटा सकेंगे l

सुनीता सुशांत सिकदार

जिल्हा परिषद उच्च प्राथमिक शाळा आंबटपल्ली ता. मुलचेरा

जि. गडचिरोली ८७६७५४७१०९

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